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UP School Merger News – 50 से कम छात्रों वाले विद्यालयों का विलय कर बेसिक शिक्षा विभाग बनायेगा बाल वाटिका केंद्र

UP School Merger News

UP School Merger News: उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कम छात्र-संख्या वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों का आपस में विलय करके बाल वाटिका केंद्र बनाने की योजना पर विचार कर रहा है। इसके लिए खासतौर से उन विद्यालयों को चिह्नित करने का काम तेजी से चल रहा है, जहां छात्रों के नामांकन की संख्या 50 से कम है। ऐसे स्कूलों को आपस में जोड़ा जाएगा और इस प्रक्रिया में खाली हुये स्कूल-भवन में बाल वाटिका केंद्र बनेगा। जहां 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित माहौल में शिक्षित करने का काम होगा।

इन बाल वाटिका केंद्रों पर पिछले साल 10,000 ECCE एजूकेटर्स नियुक्त किए गए थे, और इस वर्ष भी इतने ही ईसीसीई एजूकेटरों की तैनाती होनी है। बाल वाटिका में बच्चों को अत्याधुनिक सुविधा प्रदान की जायेगी और उन्हें बेहतर संसाधन व खेल सामग्री आदि मुहैया कराई जाएगी।

नई शिक्षा नीति के अनुरूप होंगे बाल वाटिका केंद्र

केंद्र की नई शिक्षा नीति के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी विद्यालय को स्मार्ट क्लास या आईसीटी प्रयोगशाला जैसी डिजिटल सुविधाएं तभी उपलब्ध होंगी जब वहां नामांकित छात्रों की संख्या 75 से कम न हो। इसलिए 50 से कम छात्र-नामांकन वाले स्कूलों को निकटवर्ती अच्छे स्कूल से जोड़ देने पर उन्हें डिजिटल सुविधाएं मिलने हेतु तय कसौटी पूरी हो जाएगी। वहीं, बाल वाटिका के बच्चों को भी बेहतर आधुनिक सुविधाओं वाले शैक्षिक माहौल मिलेगा, जो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। गौरतलब है कि NEP – 2020 में शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों पर खास ध्यान दिया गया है।

बेसिक शिक्षा विभाग की बाल वाटिका और ‘स्कूल-मर्जर’ योजना का विरोध

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित बाल वाटिका और कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का निकटवर्ती विद्यालयों में विलय की इस योजना का विरोध भी कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा है। इनका कहना है कि गांव-देहात के दूरदराज इलाकों में स्कूलों का विलय छात्रों की विद्यालयों तक पहुंच को प्रभावित करता है। क्योंकि इन क्षेत्रों में परिवहन की सुविधा भी अभी पूरी तरह विकसित नहीं है।

हांलांकि विभाग का मानना है कि अभी तक बाल-वाटिका योजना को लेकर कोई ‘निगेटिव फीडबैक’ कहीं से भी नहीं आया है। इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग बाल-वाटिका और स्कूल-मर्जर की अपनी इस योजना को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है, और इसके कार्यान्वयन पर पूरा फोकस कर रहा है।

अगले कुछ ही दिनों में आ सकती है कम छात्र संख्या वाले ऐसे स्कूलों की रिपोर्ट

बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से ऐसे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सूची मांगी है जहां छात्रों के नामांकन की संख्या पचास से कम है, और जिनका निकटवर्ती स्कूल में विलय किया जाना है। विभाग को उम्मीद है कि यह रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर ही मिल जायेगी, और इसके बाद इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग की पूरी कोशिश है कि बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता को लेकर किसी तरह का समझौता न हो, और उन्हें आधुनिक संसाधनों से लैस ‘चाइल्ड-फ्रैंडली’ माहौल में शुरू से ही शिक्षा प्रदान की जाये। यही बाल वाटिका और विद्यालयों के विलय की इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है। फिर भी दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करना, ताकि बच्चों की स्कूलों तक पहुंच न बाधित होने पाए, विभाग के लिए एक चुनौती होगी।